निरंतर प्रयास
देखोगे उस पार जहां के
तो सब कुछ तेरे हक में ही हैं
जो रोक रहा ,कोई और नहीं
उस मैं का दुश्मन तू ही है
कदम उठा बड़ी देर हुई हैं
भोर की सृष्टि तकती हैं
थक जाना जब शाम अंधेरों में
स्वीकारो यही जिंदगी है
चंद पलो जो हार के बैठ गए
तो सब कुछ तो नमुमकिन है
निरंतर प्रयास जो कर रहे
उन्हीं की कल की मंज़िल है
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