दफा करे!

मगरूर है जमाना, तो हम क्यों तवज्जों दे।
जिसे कदर नहीं ,उसे रुकसत करे।
भूल जाना बहुत असान था औरों के लिए
भला वो कैसे भुलाए,जिन्होने दिल से रिस्ते निभाए।
तौबा है! फिर से ऐतबार ना करे।
जिसने तब भी ना याद किया जिस वक्त उसके साथ थे।
.................... क्या करे की ऐसे लोगों को दफा करे।

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