जिससे सब अनजान रहते है

वो जिससे हम डरते हैं
वो जिसे हम कहते नहीं हैं
वो जिसे सिर्फ हम जीते हैं
वो जिसे अनसुना कर
औरों के मुताबिक़ चलतें है
वो जिससे सब अनजान ही रहते है
खुश रखना चाहे औरों को
फिर भी खुश नहीं रहते है
वो जिसे सिर्फ अकेले सहेत है    

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